महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के इतने दिनों बाद कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन पर क्यों उठाया प्रश्न? मोदी के भाषण से की चुनाव आयोग की विश्वसनीयता की तुलना।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए करीब दो महीने हो चुके हैं मगर फिर भी कांग्रेस अभी तक चुनाव के परिणाम और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है।
–चुनाव आयोग पर उठते रहे हैं सवाल!
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में होने वाला हर चुनाव लोकतंत्र का महोत्सव होता है मगर विगत चुनावों में यह देखने को मिला है कि चुनाव प्रक्रिया के हर चरण से लेकर चुनाव परिणाम आने तक राजनीतिक दल अक्सर चुनाव आयोग पर ही सवाल खड़े करते दिखाई पड़ते हैं।
सपा से लेकर कांग्रेस तक सभी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है और सत्ता पक्ष का साथ देने के आरोप लगाए हैं।
–कांग्रेस ने पूछा कहाँ गए 48 लाख वोट?
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने हाल ही में एक बयान में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए है।
खेड़ा जी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बीच वोटों की गिनती में अंतर पर प्रश्न उठाए हैं।
–क्या है पूरा गणित?
उनके बयान के अनुसार, भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) वाली महायुति को लोकसभा चुनाव के मुकाबले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 72 लाख वोट ज्यादा मिले, वहीं, कांग्रेस, सपा और शिवसेना (UBT) वाली महाआघाड़ी को लोकसभा चुनाव के मुकाबले 24 लाख वोट कम मिले हैं।
उन्होंने कहा है कि अगर 24 लाख पूरा का पूरा महायुति को गया है, तो बाकी के 48 लाख वोट आखिर कहां से आए?
-“हर बूथ का आंकड़ा सामने लाए चुनाव आयोग।“
खेड़ा जी ने मांग की कि हर बूथ और हर विधानसभा का आंकड़ा पारदर्शी तरीके से सबके सामने रखा जाना चाहिए।
उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि आज चुनाव आयोग की विश्वसनीयता नरेन्द्र मोदी के भाषणों से भी कम हो गई है।
खेड़ा जी के बयान ने चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित कराने में चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।