Wed. Mar 12th, 2025

होली और जुमा एक दिन: भाईचारे के त्योहार पर सियासत क्यों?


होली और जुमा एक दिन: भाईचारे के त्योहार पर सियासत क्यों? –

होली और जुमा का संयोग बना सियासी मुद्दा

 

इस साल होली 14 मार्च को मनाई जाएगी, और इसी दिन रमज़ान का दूसरा जुमा भी है। यह संयोग अब सियासी बहस का मुद्दा बन गया है। संभल के सीओ अनुज कुमार का एक बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा किहोली साल में एक बार आती है, जबकि जुमा 52 बार। अगर किसी को लगता है कि रंग से उसका धर्म भ्रष्ट होता है, तो वह उस दिन घर से न निकले।

उनके इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया और कई राजनीतिक नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी।

 

बयानबाज़ी का दौर: ‘तिरपाल का हिजाबवाला बयान क्यों आया?

यूपी सरकार के राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने अपने बयान में कहा किजो लोग रंग से बचना चाहते हैं, वे तिरपाल का हिजाब पहनकर घर से निकलें।उनका कहना था कि होली खेलते समय लोग यह नहीं देखते कि रंग कहां तक जा रहा है, इसलिए बचने का यही उपाय है।

इस पर कई धार्मिक संगठनों ने नाराजगी जताई। वहीं, दारुल उलूम देवबंद ने मुसलमानों से अपील की कि वे होली के दिन संयम बनाए रखें, जुमे की नमाज़ अपनी नज़दीकी मस्जिदों में अदा करें और बेवजह बाहर जाने से बचें।

 

क्या भाईचारे के त्योहारों पर राजनीति सही है?

होली और रमज़ान दोनों ही सौहार्द और भाईचारे के पर्व माने जाते हैं। लेकिन जब ऐसे धार्मिक संयोग राजनीति का ज़रिया बन जाते हैं, तो यह समाज में फूट डालने की कोशिश लगती है। सवाल यह है कि क्या हमें त्योहारों का आनंद लेना चाहिए या फिर इन पर होने वाली सियासी बयानबाज़ी का शिकार बनना चाहिए?


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By Pranav Gavhale

मेरा नाम प्रणव गव्हाळे है. मे यह न्यूज नेटवर्क वेबसाईट का 50% का partnerships holder हू. मे काही समय से Digital marketing कर रहा हू ओर इसमे मुझे तीन साल का अनुभव है. ओर मे यह वेबसाईट पर ब्लॉग राइटिंग का काम भी करता हू.

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