Thu. Mar 13th, 2025

ELON MUSK ने US में प्रोजेक्ट कि फंडिंग काटी, भारत नाम क्यों आया


अमेरिकी सरकार में एक नया विभाग बनाया गया है जिसे doge यानी Department of government efficiency नाम दिया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सरकार के खर्चो में कटौती करना है| 

ELON MUSK ने us में प्रोजेक्ट कि फंडिंग  काटी, भारत नाम क्यों आया

जब डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता में आये थे तभी यह विभाग बनाये थे और इस विभाग को टेस्ला और स्पेस एक्स के मालिक Elon Musk को इसकी कमान सौप दी थी| 

 

इस DOGE ने 16 फरवरी को एक फैसला लिया था जिसमे यह कहा गया कि CEPPS को जो 21 मिलियन Doller अनुदान दिया गया है उसे रद्द किया जाता है| यह एक गैर लाभकारी संसथान है|

 

अब बात आती है कि इस पैसे चर्चा क्यों हो रही है क्योकि इस पैसे इस्तेमाल भारत में वोटर turnout को बढ़ाने के लिए किया गया था|  

 

DOGE ट्विटर पर पोस्ट किया 

 

अमेरिकी करदाताओं के पैसे ऐसे बहुत से मदो पर खर्च होने वाले थे जिन्हे अब रद्द कर दिया गया है यह कहा जा रहा है कि 486 मिलियन डॉलर CEPPS को 22 मिलियन मोल्दोवा में राजनितिक  प्रक्रिया और 21 मिलियन डॉलर भारत में वोटर turnout बढ़ाने के लिए दिया गया|

 

इस पोस्ट में इंडिया के किसी भी व्यक्ति या एजेंसी का नाम नहीं लिया गया है, अमेरिकी सरकार के इस फैसले के बाद बीजेपी के आईटी सेल अमित मालवीय और पार्टी के राजीव चंद्रशेखर ने भारत के चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप है| 

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि एक तरफ लोकतान्त्रिक मूल्यों कि चर्चा हो रही है और दूसरे तरफ लोकतान्त्रिक देशो को कमजोर किया जा रहा है| हमें भारत में इस पैसे कि पूरी जाँच करनी चाहिए| 

 

भाजपा का यह कहना है कि इस अमेरिकी पैसे का उपयोग सत्ता पक्ष कर रहा था| अब इसे समझने के लिए कुछ चीजों को समझना जरूरी है-

 

Cepps (Consortium for Elections and Political Process Strengthening)  एक गैर लाभकारी संस्थान है और इससे पैसा मिलता है अमेरिकी सरकार के अधीन आने वाले USAID को| USAID ( united states agency of international development) का मुख्य काम होता है विदेश में आर्थिक स्वास्थ्य देना यानी पैसा पहुंचना|अब यह USAID 17 मई को भारत के साथ mou हस्ताक्षार किये थे| mou का काम यह था कि ECI के ज्ञान को अंतरास्ट्रीय स्तर पर चुनावी प्रक्रियाओं को साझा करना| अब भाजपा का आरोप है 2012 में mou के बहाने ECI को विदेशी ताकतों को सौपा गया था|


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By Pranav Gavhale

मेरा नाम प्रणव गव्हाळे है. मे यह न्यूज नेटवर्क वेबसाईट का 50% का partnerships holder हू. मे काही समय से Digital marketing कर रहा हू ओर इसमे मुझे तीन साल का अनुभव है. ओर मे यह वेबसाईट पर ब्लॉग राइटिंग का काम भी करता हू.

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