देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष में पहले दिन ही हंगामा देखने को मिला| नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने फ्लोर लैंग्वेज को लेकर अंग्रेजी की जगह पर उर्दू करने की बात कही| अंग्रेजी को जबरदस्ती थोपने की बात कही जिसको लेकर सीएम योगी भड़क गए| फिर क्या हुआ|
माननीय उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद पांडेय के सदन के कार्यकाल में भाषा को लेकर अपनी बात कहते हुए नजर आये
इस विधानसभा में अंग्रेजी का प्रयोग करना उचित नहीं है, बड़ी मुश्किल से यहाँ से अंग्रेजी हटाई गई थी| और विधानसभा में हिंदी भाषा घोषित की गई थी| आज इंग्लिश को लेकर हिंदी को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है| यह नहीं होना चाहिए| हिंदी को लाने के लिए बहुत सारे दिक्कतों उठाई गई है,हिंदी को लेकर ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद, लखनऊ जेल में बंद और गोरखपुर के जेल में बंद रहे है| यह सभी दिक्कत इसलिए ही उठाई गई थी क्योकि यहाँ पर अंग्रेजी माध्यम न बने और अगर अंग्रेजी करना चाहते है तो उर्दू भी कीजिये सिर्फ अंग्रेजी ही करेंगे व्यक्तिगत रूप से नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन में आग्रह किया कि सदन को इसे पास करना चाहिए|
इसके बाद माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा कि
उत्तर प्रदेश में विभिन्न बोलिया बोली जाती है , भोजपुरी,अवधी , बुंदेलखंडी , ब्रज जैसी भाषाएँ बोली जाती है| हमारी सरकार इन सभी भाषा का अलग अकेडमी बनकर गठन करना चाह रही है| यह सभी भाषाएँ हिंदी की ही उपभाषा है,क्योकि इनकी शुरुआत हिंदी से ही हुई है|
भाषा शैली के आधार पर
भाषा सिर्फ साहित्यो और विद्वानों की नहीं है बल्कि आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले माननीय सदस्य समाज के विभिन्न वर्गों से आये उन लोगो की भी है| अपनी बात कहने का अंतिम सदस्य को भी मौका मिले इसके लिए हर व्यक्ति धाराप्रवाह हिंदी नहीं बोल सकता है| उसको अवधी में , ब्रज में , भोजपुरी में , बुन्देलखड़ी में अपनी बात रखने का अधिकार मिलना चाहिए|
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कौन सी बात हो गई कोई सदस्य भोजपुरी में न बोले , अंग्रेजी में न बोले और आप उर्दू में बोलने की बात कह रहे है|
फिर दोहरे चरित्र की बात करते हुए अपने बात को विराम दिया उन्होंने ने कहा कि आप अपने बच्चो को अंग्रेजी के स्कूलों में भेजते है और दूसरे के बच्चो को जहां संसाधन की कमी है उन स्कूलों में भेजने के लिए कहते है|