योगी आदित्यनाथ के कठमुल्ला वाले बयान पर ओवैसी ने सुनाई खरी–खरी – ऑल इंडिया मजलिस–ए–इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से सवाल किया कि उन्हे तो उर्दू नहीं आती, तो वो क्यों नहीं साइंटिस्ट नहीं बने।
ओवैसी ने रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी का भी किया जिक्र
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी के सीएम जिस विचारधारा से आते हैं, उस विचारधारा से किसी ने भी इस देश की आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया। उन्होंने कहा, “योगी आदित्यनाथ जिस गोरखपुर से आते हैं, रघुपति सहाय फिराक भी उसी गोरखपुर से आते हैं, जो उर्दू के नामचीन शायर थे और मुसलमान भी नहीं थे।

उर्दू भारत के संविधान में है संरक्षित है
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सीएम को यह भी नहीं पता कि उर्दू उत्तर प्रदेश की संस्कृति का हिस्सा है। आरएसएस और बीजेपी के लोग नहीं जानते कि उर्दू को अन्य भाषाओं की तरह संविधान में संरक्षित किया गया है। वे नहीं जानते कि हर मुसलमान उर्दू नहीं बोलता, यह मुसलमानों की भाषा नहीं है। यह इस देश की आजादी की भाषा रही है। यह इस देश की भाषा है। भाजपा इस देश को एक भाषा, एक धर्म, एक विचारधारा और एक नेता के हिसाब से बनाना चाहती है।
क्या था यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 18 फरवरी 2025 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया था, उन्होंने कहा था कि “सपा अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाएगी और जब सरकार आम जनता के बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने की बात करती है, तो ये लोग उर्दू थोपने की वकालत करने लगते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहती है, जो कतई स्वीकार्य नहीं होगा।”